Wednesday, April 14, 2021

Kiss connection

 

Kiss Analysis-

 First step of love ! pure love !Perfect kiss always improve your lifestyle,its supportive to remove your problems & negativity  although cured your health also.But how?

Normally kisses used for sex or excitement or entertainment ,In india its a very sensitive matter but for improves your life or remove the negativity  its very effective play the roll.Let see how many type of kiss-

01.Round Kiss-(Minimum Duration-30 sec.)-Improve concentration

 

02.Long Kiss--(Minimum Duration-180 sec.)-Good Health

 

03.Short kiss--(Minimum Duration-15 sec.)-Change mood

 

04.Twist kiss--(Minimum Duration-70 sec.)-Remove Negativity

 

05.Wet kiss--(Minimum Duration-70 sec.)-Improve relations

 

06. Inner Kiss--(Minimum Duration-20 sec.)-Immotions & excitements

 

07.Water Kiss--(Minimum Duration-15 sec.)-Good energy & relief from tiredness

 

yantra knowledge bt sanjay lodha jain

 

यंत्रो का  महत्व -

यन्त्र क्यों बनाये जाते है ? इनका क्या उद्देश्य है ? यन्त्र भगवान् के प्रतिकृति समान होते है जैसे मंत्रो के द्वारा भगवानोँ का आव्हान किया जाता है  ठीक उसी तरह हम यंत्रो को आसान देकर उनको देवी-देवता के रूप मैं पूजा करते है ,इसलिए हमेशा ध्यान रखे ,पूजा स्थान मैं यंत्रो को   आसन पर विराजमान करे और उनको लिटा कर नहीं बल्कि खड़ा करके रखे तथा उनको कलावा {मौली } ऊपर से नीचे की और पहना  कर रखे !

यंत्रो को रोज़ स्नान करवाने की आवश्यकता नहीं होती है , विशेष अवसरों पर उनकी साफ़-सफाई की जा सकती है ,आप रोज़ उनको कुमकुम (देवी यन्त्र )या  केसर चन्दन (देव यन्त्र ) का तिलक लगा सकते है ! चांदी के यंत्रो की पूजा २५ वर्ष तक शुभ होती है ,वहीं ताम्बा ,पीतल जैसे धातु के यंत्रो की पूजा  सिर्फ डेढ वर्ष लाभकारी होती है ! स्वर्ण या रत्न पत्थरो पर निर्मित यन्त्र आजीवन पूजा योग्य होते है ! मिश्रित धातु के बने यंत्रो मैं स्वर्ण-चांदी के प्रतिशत के आधार पर उनकी आयु की गणना की जाएगी !भोजपत्र पर लिखित यन्त्र भी अत्यंत प्रभावशाली होते है ! यहाँ ध्यान देने वाली बात है की हर यन्त्र ,विधि अनुसार अभिमंत्रित होना चाहिए तभी उसकी स्थापना का लाभ है अन्यथा आपकी श्रद्धा अनुसार वो शोभा बढ़ा रहे होते है !

यंत्रो को हमेशा उनके आकार -प्रकार ,अंको व् बीजाक्षरों के द्वारा निर्मित किया गया है ! साधारण और ज्यादा काम आने वाले यन्त्र चौकोर व् अंक निर्मित मिलेंगे जिनको बिना समझे लोग  नाम पढ़कर रखते है लेकिन प्रभावशाली या गोपनीय प्राचीन यंत्रो मैं आकार -प्रकार ,अंको व् बीजाक्षरों का समावेश होता है ,जिनको केवल साधक ही समझ पाते है ,ये बहुत काम के होते है इसलिए मिलते भी प्रार्थना के बाद ही है ! ये चौकोर हों ये आवश्यक नहीं है , यन्त्र हमेशा सही  दिशा व् निर्धारित  स्थान देखकर ही लगाए ! इति शुभ !-SANJAY LODHA JAIN DT.13-04-2021

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